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Dev Diwali 2025: 4 या 5 नवम्बर कब है देव दिवाली, जानिए इस पर्व का महत्व

भारत त्योहारों की भूमि है, जहाँ हर पर्व अपने आप में एक खास अर्थ रखता है। इन्हीं में से एक है Dev Diwali 2025, जिसे ‘देवताओं की दिवाली’ कहा जाता है। यह पर्व काशी नगरी (वाराणसी) में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन सवाल उठता है – Dev Diwali 2025 कब है? 4 या 5 नवम्बर को? आइए जानते हैं इस खास दिन की पूरी जानकारी, महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी परंपराएँ।

Dev Diwali 2025: कब है देव दिवाली?

देव दिवाली हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जो दीपावली के ठीक 15 दिन बाद आती है। पंचांग के अनुसार, Dev Diwali 2025 इस बार 5 नवम्बर (बुधवार) को मनाई जाएगी।
इस दिन भगवान विष्णु, शिव और सभी देवता गंगा तट पर उतरकर दीप जलाते हैं। इसलिए इसे ‘देवों की दिवाली’ कहा जाता है।

देव दिवाली का महत्व

हिंदू मान्यता के अनुसार, देव दिवाली के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसी खुशी में देवताओं ने स्वर्ग और पृथ्वी दोनों पर दीप प्रज्वलित किए। तभी से इस दिन को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया पुण्य कर्म सौ गुना फल देता है।

काशी में देव दिवाली का भव्य आयोजन

  • वाराणसी में देव दिवाली का नजारा देखने लायक होता है। पूरा शहर दीपों से जगमगाता है और गंगा घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं।
  • दशाश्वमेध घाट से लेकर अस्सी घाट तक दीपों की पंक्तियाँ मन मोह लेती हैं।
  • गंगा आरती के दौरान मंत्रों की गूंज और दीपों की रोशनी से पूरा वातावरण दिव्य बन जाता है।
  • हजारों भक्त गंगा स्नान करते हैं और दीपदान करके भगवान शिव से आशीर्वाद मांगते हैं।

देव दिवाली पूजा विधि

  1. सुबह गंगा स्नान या शुद्ध जल से स्नान करें।
  2. भगवान शिव, विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
  3. घर, मंदिर और दरवाजे पर दीपक जलाएँ।
  4. गंगा जल से घर के मुख्य द्वार का छिड़काव करें।
  5. रात में 21 या 51 दीपक जलाकर भगवान को अर्पित करें।
  6. जरूरतमंदों को दान करें और भगवान से मंगल की कामना करें।

देव दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा

त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने तीन लोकों में आतंक मचा रखा था। देवता उसके अत्याचारों से परेशान होकर भगवान शिव के पास पहुंचे। तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया।
इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने दीप जलाकर हर्ष मनाया – तभी से यह दिन देव दिवाली कहलाया।

Dev Diwali and Kartik Purnima

देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा एक ही दिन आती है। इस दिन गंगा स्नान और दीपदान का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया स्नान और दान सभी पापों का नाश करता है।

देव दिवाली और तुलसी विवाह का संबंध

देव दिवाली के कुछ दिन पहले तुलसी विवाह होता है। यह विवाह देवताओं के जागने के बाद का पहला शुभ अवसर माना जाता है। तुलसी विवाह और देव दिवाली दोनों ही धार्मिक शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक हैं।

Dev Diwali 2025 से जुड़ी ज्योतिषीय मान्यता

ज्योतिष के अनुसार, देव दिवाली पर चंद्रमा वृषभ राशि में रहता है जो सौंदर्य और शांति का प्रतीक है। इस दिन दीपदान और मंत्रजाप करने से मानसिक शांति और आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है।

FAQs

Dev Diwali 2025 कब है?
→ इस बार देव दिवाली 5 नवम्बर 2025 को मनाई जाएगी।

देव दिवाली किस भगवान की पूजा के लिए मनाई जाती है?
→ इस दिन भगवान शिव और सभी देवताओं की पूजा की जाती है।

देव दिवाली कहाँ सबसे प्रसिद्ध है?
→ वाराणसी (काशी) में देव दिवाली का उत्सव सबसे भव्य रूप से मनाया जाता है।

देव दिवाली और दीपावली में क्या अंतर है?
→ दीपावली रावण वध के बाद श्रीराम के अयोध्या लौटने पर मनाई जाती है, जबकि देव दिवाली भगवान शिव की विजय के उपलक्ष्य में।

देव दिवाली पर क्या करना शुभ होता है?
→ गंगा स्नान, दीपदान, भगवान शिव की पूजा और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

निष्कर्ष

Dev Diwali 2025 केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, प्रकाश और भक्ति का संगम है। चाहे आप वाराणसी में हों या अपने घर पर, इस दिन दीपक जलाना और भगवान शिव की आराधना करना शुभ माना जाता है।
इस दिव्य अवसर पर अपने मन और घर दोनों को प्रकाश से भर दें, क्योंकि यही है देव दिवाली का सच्चा संदेश – अंधकार से प्रकाश की ओर।

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